hendicraft लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
hendicraft लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2014

जयपुर में लोकरंग के तहत राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले की तैयारियां

पहला दिन खाली खाली सा 
इस बार महंगे हो सकते है शिल्प मेले के हैंडीक्राफ्ट आइटम
शिल्पियों से स्टॉल का शुल्क पांच हजार लेंगे
हस्तशिल्प विभाग से सहयोग राशि मिलने के आसार नहीं
मूमल नेटवर्क, जयपुर। शहर में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली पूर्व के शिल्प मेलों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बसे शिल्पी अपनी कला का हुनर दिखाने के लिए अन्तिम तैयारियों में जुटे हैं। दूसरी ओर इस साल जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजित होने वाले लोकरंग के शिल्प मेले के लिए केन्द्र सरकार से सहयोग राशि मिलने के आसार बहुत कम नजर आ रहे हैं। इसका सीधा असर मेले में बिकने वाले उत्पादों के मूल्य पर नजर आ सकता है।
तैयारियां जोरों पर
हर वर्ष दीपावली से पहले दो शिल्प मेलों की तैयारी बड़े पैमाने पर की जाती है। आमेर रोड स्थित परशुरामद्वारा का हस्तशिल्प मेला और जवाहर कला केन्द्र के वार्षिक उत्सव लोकरंग के तहत लगने वाला राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला। दोनों मेले अपनी तैयारियों के चरम पर हैं। जयपुरवासी बड़े उत्साह के साथ हस्तशिल्प के नए अन्दाज देखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यृूं तो हमेशा हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा हस्तशिल्पियों को नि:शुल्क स्टॉल्स का आवंटन किया जाता है, लेकिन इस बार संभवत: व्यवस्था में परिवर्तन होने की आशंका है।
शिल्पियों से वसूलेंगे शुल्क
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासनिक कारणों के चलते इस वर्ष जवाहर कला केन्द्र को वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प विभाग से प्राप्त आर्थिक सहयोग संभवत नहीं मिल पाएगा। केन्द्र ने मेले के लिए हस्तशिल्पियों को आमन्त्रित किए गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया है। केन्द्र ने हस्तशिल्पियों को यह सूचना दी है कि यदि भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा आर्थिकसहयोग की राशि प्राप्त नहीं हो पाती है तो उन्हें स्टॉल के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। शुल्क की राशि प्रतिदिन 500 रुपए तक हो सकती है। इस पत्र को पाने के बाद शिल्पी असमंजस में है।
महंगेे हो सकते हैं उत्पाद
जाहिर बात है कि यदि शिल्पियों को केन्द्र से स:शुल्क स्टॉल का आवंटन होता है तो इसका सीधा असर मेले में बिकने वाले हस्तशिल्प उत्पादों पर ही पड़ेगा। इस नई व्यवस्था के साथ ही वार्षिक हस्तशिल्प मेलों में शिल्पियों से शुल्क लेने की नई परम्परा शुरू हो सकती है। इस संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि जवाहर कला केन्द्र यदि इस प्रयोग में सफल होता है और शिल्पी शुल्क देने के साथ मेले में हिस्सा लेने को सहमत होते हैं तो रूडा द्वारा आयोजित मेलों में भी शिल्पियों से शुल्क वसूला जा सकता है।
रूडा को भी नही मिला सहयोग
उल्लेखनीय है कि बीते अगस्त में रूडा द्वारा जेकेके के शिल्पग्राम में आयोजित मेले के लिए भी भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा सहयोग राशि प्राप्त नहीं हो पाई थी। रूडा द्वारा डीसीएच को भेजे गए प्रस्ताव की स्वीकृति ही मेला बीत जाने के बाद प्राप्त हुई।
अधिकारी का कहना है ज्यादा असर नहीं पड़ेगा
जवाहर कला केन्द्र के जन सम्पर्क अधिकारी का कहना है कि लोकरंग के राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के लिए वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प विभाग से सहयोग राशि के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अगर वह प्राप्त नहीं हुई तो हस्तशिल्पियों से स्टॉल के लिए शुल्क वसूलने का प्रस्ताव है। इससे उत्पादों की कीमत बढ़ सकती है, लेकिन इससे कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

कपड़े वालों की दुकाने सजी 

कपड़े वालों की दुकाने सजी 

पॉश फर्नीचर 



मंगलवार, 6 नवंबर 2012

हस्तशिल्प उत्पादों को उम्मीद से बेहतर रेस्पांस

                                 बिक्री का आंकड़ा 2500 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद
                                 नक्काशी एवं जड़ाऊ उत्पाद भी लिए जा रहे हाथों-हाथ

मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों के दाम बढऩे के बावजूद दीपावली व क्रिसमस के त्यौहारी सीजन में विदेशी और घरेलू बाजार में इन उत्पादों की मांग काफी बढ़ी है। उत्पादों को उम्मीद से बेहतर रिस्पांस मिला है। इसका कारण शिल्प की नई डिजाइंस व अनूठी निर्माण शैली तो है ही, महंगाई के बावजूद नियंत्रित कीमतें भी आकर्षण का कारण हैं। ऐसे में गत वर्ष की तुलना में इस साल बिक्री में 300 करोड़ से अधिक का इजाफा हुआ है। बिक्री का आंकड़ा 2500 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद है। नक्काशी एवं जड़ाऊ हस्तशिल्प को उत्पादों को बाजार में हाथों-हाथ लिया जा रहा है।
घरेलू मार्केट में भी पैठ
सस्ते व अनूठे उत्पादों की बदौलत विदेशी बाजार में दम भर रहा राजस्थान का हैंडीक्राफ्ट कारोबार अब घरेलू मार्केट में भी पैठ बना रहा है। विदेशी बाजार में वुडन, टैक्सटाइल, नक्काशी, ब्लू पॉटरी, मार्बल, टेराकोटा, ग्लास वेयर व लाख के हैंडीक्राफ्ट उत्पाद के साथ घरेलू सजावट व फर्नीचर से जुड़े उत्पाद डिजाइनदार बेड, सोफा सेट, कुर्सियां, मेज, वाल पेंटिंग, मैटल व लकड़ी पर बारीक चित्रकारी कर बनाई गई घडिय़ां, फूलदान, पेड़ की छाल से बने कलात्मक फूल और चांदी की बारीक जड़ाऊ शो पीस की मांग अधिक है।
घरेलू बाजार में भी सजावट के लिहाज से इन उत्पादों की मांग काफी बढ़ी है। फेडरेशन ऑफ  राजस्थान एक्सपोर्टर्स के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा के अनुसार त्यौहारी सीजन में घरेलू सजावट से जुड़े हैंडीक्राफ्ट उत्पादों को उम्मीद से बेहतर रिस्पांस मिला है। नक्काशी एवं जड़ाऊ हैंडीक्राफ्ट उत्पादों को भी घरेलू बाजार में हाथों-हाथ लिया जा रहा है।
दाम 20 फीसदी से अधिक बढ़ा
हैंडीक्राफ्ट उद्यमी व सीआईआई जयपुर शाखा के अध्यक्ष दिलीप बैद ने बताया की हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की मांग के पीछे इनकी डिजाइन व अनूठी निर्माण शैली तो है ही, कम कीमतें भी आकर्षण का कारण हैं। लेकिन पिछले कुछ अर्से से सरकारी रियायतों के बावजूद यह उद्योग बढ़े हुए लागत भार से त्रस्त है। हैंडीक्राफ्ट उत्पाद निर्माताओं व निर्यातकों ने इस सीजन में दाम 20 फीसदी से अधिक बढ़ा की बढ़ोतरी कर दी है। विदेशी बाजार से भी नए ऑर्डर बढ़ी कीमतों पर ही लिए जा रहे हैं। इसके बावजूद गत वर्ष की तुलना में इस साल बिक्री में 300 करोड़ से अधिक का इजाफा हुआ है।
बिक्री का आंकड़ा 2500 करोड़ के पार
निर्माताओं को बिक्री का आंकड़ा 2500 करोड़ के पार पहुंचने की उम्मीद है। इसमें से करीब 1500-1600 करोड़ रुपये का निर्यात हो रहा है। फैडरेशन ऑफ राजस्थान हैण्डीक्राफ्ट एक्सपोर्ट (फॉरहेक्स) के अध्यक्ष जसवंत मील का कहना है कि  पिछले कुछ अरसे में कच्चे माल कीमतों में जबरदस्त उछाल रहा है। ऐसे में अंतिम विकल्प कीमतों में बढ़ोतरी है। कीमतें बढऩे से मांग पर आंशिक असर पड़ सकता है। लेकिन जिस हिसाब से इन उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ रही है, इसकी संभावना कम है।