पहला दिन खाली खाली सा |
इस बार महंगे हो सकते है शिल्प मेले के हैंडीक्राफ्ट आइटम
शिल्पियों से स्टॉल का शुल्क पांच हजार लेंगे
हस्तशिल्प विभाग से सहयोग राशि मिलने के आसार नहीं
मूमल नेटवर्क, जयपुर। शहर में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली पूर्व के शिल्प मेलों की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बसे शिल्पी अपनी कला का हुनर दिखाने के लिए अन्तिम तैयारियों में जुटे हैं। दूसरी ओर इस साल जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजित होने वाले लोकरंग के शिल्प मेले के लिए केन्द्र सरकार से सहयोग राशि मिलने के आसार बहुत कम नजर आ रहे हैं। इसका सीधा असर मेले में बिकने वाले उत्पादों के मूल्य पर नजर आ सकता है।तैयारियां जोरों पर
हर वर्ष दीपावली से पहले दो शिल्प मेलों की तैयारी बड़े पैमाने पर की जाती है। आमेर रोड स्थित परशुरामद्वारा का हस्तशिल्प मेला और जवाहर कला केन्द्र के वार्षिक उत्सव लोकरंग के तहत लगने वाला राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला। दोनों मेले अपनी तैयारियों के चरम पर हैं। जयपुरवासी बड़े उत्साह के साथ हस्तशिल्प के नए अन्दाज देखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यृूं तो हमेशा हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा हस्तशिल्पियों को नि:शुल्क स्टॉल्स का आवंटन किया जाता है, लेकिन इस बार संभवत: व्यवस्था में परिवर्तन होने की आशंका है।
शिल्पियों से वसूलेंगे शुल्क
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासनिक कारणों के चलते इस वर्ष जवाहर कला केन्द्र को वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प विभाग से प्राप्त आर्थिक सहयोग संभवत नहीं मिल पाएगा। केन्द्र ने मेले के लिए हस्तशिल्पियों को आमन्त्रित किए गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया है। केन्द्र ने हस्तशिल्पियों को यह सूचना दी है कि यदि भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा आर्थिकसहयोग की राशि प्राप्त नहीं हो पाती है तो उन्हें स्टॉल के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। शुल्क की राशि प्रतिदिन 500 रुपए तक हो सकती है। इस पत्र को पाने के बाद शिल्पी असमंजस में है।
महंगेे हो सकते हैं उत्पाद
जाहिर बात है कि यदि शिल्पियों को केन्द्र से स:शुल्क स्टॉल का आवंटन होता है तो इसका सीधा असर मेले में बिकने वाले हस्तशिल्प उत्पादों पर ही पड़ेगा। इस नई व्यवस्था के साथ ही वार्षिक हस्तशिल्प मेलों में शिल्पियों से शुल्क लेने की नई परम्परा शुरू हो सकती है। इस संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि जवाहर कला केन्द्र यदि इस प्रयोग में सफल होता है और शिल्पी शुल्क देने के साथ मेले में हिस्सा लेने को सहमत होते हैं तो रूडा द्वारा आयोजित मेलों में भी शिल्पियों से शुल्क वसूला जा सकता है।
रूडा को भी नही मिला सहयोग
उल्लेखनीय है कि बीते अगस्त में रूडा द्वारा जेकेके के शिल्पग्राम में आयोजित मेले के लिए भी भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा सहयोग राशि प्राप्त नहीं हो पाई थी। रूडा द्वारा डीसीएच को भेजे गए प्रस्ताव की स्वीकृति ही मेला बीत जाने के बाद प्राप्त हुई।
अधिकारी का कहना है ज्यादा असर नहीं पड़ेगा
जवाहर कला केन्द्र के जन सम्पर्क अधिकारी का कहना है कि लोकरंग के राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले के लिए वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प विभाग से सहयोग राशि के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अगर वह प्राप्त नहीं हुई तो हस्तशिल्पियों से स्टॉल के लिए शुल्क वसूलने का प्रस्ताव है। इससे उत्पादों की कीमत बढ़ सकती है, लेकिन इससे कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
कपड़े वालों की दुकाने सजी |
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पॉश फर्नीचर |
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