गुरुवार, 1 नवंबर 2012

अब वयस्क हो गया जेकेके का 'लोकरंग'

मूमल नेटवर्क जयपुर। जयपुर के जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित वार्षिक 'लोकरंग' का शुभारंभ राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने किया। पिछले अठारह वर्षो के आयोजन का इतिहास लिए राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह 'लोकरंग' अपनी शैशवास्था और तरूणाई से निकल
अब पूर्ण वयस्क हो गया है। इस वर्ष 2012 में भी देश के कोने-कोने से
विभिन्न प्रदेशो, केन्द्र शासित प्रदेशो के नृत्य दल, गायक समूह और
लोक नाट्य अपनी परम्परा, अपने संगीत और अपने प्रदेश की सांस्कृतिक
छटा से सराबोर लगभग 1200 कलाकार जवाहर कला केन्द्र में सम्मिलित
होंगे।
भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से प्रारम्भ
होकर एकादशी अर्थात 30 अक्टूबर से 09 नवम्बर, 2012 तक चलने वाले
इस समारोह में राजस्थान सहित देश के विभिन्न प्रान्तो के लोक एवं
आदिवासी कलाकार अपने पारम्परिक वेश, अनूठे वाद्य यंत्रो और मद मस्त
संगीत के साथ प्रति दिन दर्शको के समक्ष समृद्ध भारतीय संस्कृति की प्रस्तुति
देंगे। समारोह का समापन सब राज्यो की सम्मिलित प्रस्तुति के रूप में होगा।
गत 'लोकरंगÓ समारोह में उमड़े जन समूह को दृष्टिगत रख
मुक्ताकाशी सभागार के बाहर परिसर में स्क्रीन पर कार्यक्रमों के लाइव
प्रसारण की भी व्यवस्था की गई है।

तीन दिवसीय समारोह से प्रारम्भ होकर यह लोकरंग अब ग्यारह
दिनों तक मनाया जाता है
अपने 19वें सोपान पर लोकरंग अपनी गरिमा पूर्ण परम्परा के अनुरूप
अनेकता में एकता की हमारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के साथ
दर्शको को समर्पित होगा।

राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला
केन्द्र परिसर के शिल्पग्राम में आयोजित यह बहुरंगी मेला देश की
प्रति-निधि हस्तकलाओं की वृहद प्रदर्शनी प्रस्तुत करता है।
भारतीय हस्तशिल्पियों और उनके हस्त कौशल का संगम
'लोकरंगÓ के अवसर पर शिल्पग्राम में देखने को मिलता है। सभी
प्रदेशों के शिल्पी अपनी श्रेष्ठ कृतियों के साथ यहां आते है।
इनमें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी तो होते ही है,
कुछ नए कलाकारों को भी अवसर दिया जाता है ताकि नई पीढ़ी भी
तैयार हो। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के
सक्रिय आर्थिक सहयोग से आयोजित यह मेला शिल्पकला के खरीददारों को
भी प्रोत्साहित करता है। मेले में लगभग 150 स्टॉल में देश
के विभिन्न देशों के हस्तशिल्प कलाकार अपनी हस्तकला को प्रदर्शित
करेंगे।

क्या -क्या मिलेगा
जयपुर, जोधपुर का बंधेज, कच्छ की कशीदाकारी, मोलेला -
पोकरण की मृदाकला, बस्तर का लोह शिल्प, बंगाल का चर्म शिल्प, दक्षिण
भारत की वस्त्र बुनाई, लाख, नमदा, काष्ठ शिल्प, मोजड़ी कोल्हापुरी,
चप्पल, चिकनकारी, पैच वर्क, बांस-बैत का काम, यानि लोगों का मन
मोह लेने वाले हर प्रकार के शिल्प प्रदर्शन और बिक्री के लिए यहां
उपलब्ध रहेगा।

प्रतिभागी राज्य
प्रतिभागी राज्य हैं अरूणाचल प्रदेश, असम, आन्ध्र प्रदेश,
उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड,गोवा, लक्षद्वीप, ओड़ीसा, कर्नाटक, केरल,
गुजरात, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर,
महाराष्ट्र, हरियाणा एवं राजस्थान।

कोई टिप्पणी नहीं: