ट्रक आपरेटरों के देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से हेंडी क्राफ्ट मेलों के कारोबार से जुड़े हजारों आर्टीजन अपने ठिकानों से बाहर जाकर फंस गए है। इनदिनों राजस्थान में ही कम से कम छ हजार से अधिक शिल्पी अटके हुए है। मेलों और प्रदर्शनियों के समापन के बाद वे अपना सामान अन्यत्र नहीं ले जा पा रहे। उधर जिंसों एवं खान-पान की कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण उन्हें भारी नुकसान होने की भी आशंका है। हड़ताली ट्रक मालिकों के मुद्दे सुलझाले के लिए सरकार की तरफ से कोई गंभीर पहल नहीं हुई है। हमारी भूतल परिवहन मंत्रालय के साथ शनिवार और रविवार को बैठकें हुई थी, लेकिन इसमें कोई परिणाम नहीं निकला।
डीजल की कीमतों में दस रुपये लीटर की कमी किए जाने और कुछ अन्य मांगों को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत विफल होने के बाद विभिन्न राज्यों में ट्रक आपरेटरों ने माल ढुलाई रोक दी है।
इस हड़ताल में ट्रक आपरेटरों की 4000 एसोसिएशन शामिल हैं। हड़ताल अगर चार-पांच दिन तक जारी रहती है तो इससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतें उछल जाएंगी और शिल्पिओं को भी नुकसान होगा।
ट्रक मालिकों ने डीजल सस्ता करने के साथ ही टायर के अधिक मूल्य परमिटों की समस्या को दूर करने की लेकर सरकार से इस क्षेत्र के लिए भी सहायता पैकेज जारी करने की मांग की है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट के मद्देनजर डीजल की कीमत में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की मांग है। ट्रक मालिकों ने डीजल पर सामान चार फीसदी का मूल्य वर्धित कर [वैट] लगाए जाने नए मोटरवाहन अधिनियम में पंजीकरण और रिटर्न दाखिल किए जाने के प्रावधान खत्म करने तथा राष्ट्रीय स्तर के परमिट [एनपी] के शुल्क को 5000 रुपये से घटाकर 1500 रुपये करने की मांग की है।
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