पूरी तरह तैयार होने के बाद कुछ ऐसे होंगे पुडुकोट्टई के अश्व |
माटी सृजन शिविर
मूमल नेटवर्क, जयपुर। यहां के जवाहर कला केंद्र के परिसर में बहुत जल्द ही पुडुकोट्टई के टेराकोटा अश्व सजेंगे।घोड़ों के मूल आकार की यह रचनाएं यहां चल रहे माटी सृजन शिविर में तैयार की जा रही हैं। पन्द्रह दिवसीय यह शिविर 7 मई को शुरू आ है जो 21 मई तक चलेगा। शिविर में राजस्थान के दो और तमिलनाडु के एक कलाकार की टीम टेराकोटा कृतियों का सृजन कर रही हैें।
तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गांव में बनने वाले घोड़े यहां पहली बार देखने को मिलेंगे। राजस्थान के रामगढ़ (अलवर) और मोलेला (राजसमंद) के कलाकार भी शिविर में पूरे मनोयोग से लगे हैं लेकिन स्थानीय कला प्रेमियों के देखने को अब तक तो कुछ नया नहीं है, हो सकता है शिविर के पूरा होने तक प्रदेश के ये शिल्पी कुछ नया सृजन कर दें?
मोलेला की मिट्टी से खेलते-खेलते उसे विभिन्न आकार देते हुए बहुत कुछ कहने वाले कलाकार जमना लाल कुम्हार यहां देव संग्रह की रचना कर रहे हैं। अपने युवा सहायक प्रशंान्त के साथ उनहोंने लगभग 5 गुणा 3 फीट का एक फलक तैयार किया है। मिट्टी के लिए बिना किसी सपोर्ट के बनाए गए इस फलक पर विभिन्न लोक देवी-देवताओं की आकृतियां उभरनी शुरू हुई हैं। मौसम के हालात सामान्य रहे तो यह रचना अगलेे 10-12 दिनों में तैयार हो जाएगी।
देव संग्रह की रचना करते मोलेला के जमनालाल कुम्हार |
पूरी तरह तैयार होने के बाद कुछ ऐसा होगा देव संग्रह |
मिट्टी के पात्र तैयार करते राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी ओम प्रकाश |
माटी सृजन शिविर में बन रहे पुडुकोट्टई के अश्व |
-प्रस्तुति: राहुल सेन