दलाल अब भी सक्रीय
मूमल नेटवर्क, जयपुर। शिल्प के क्षेत्र में दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए होने वाले शिल्पों के चयन में हो रही देरी के चलते इस साल भी यह पुरस्कार समय पर वितरित होने के आसार कम होते जा रहे है।
निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रदेश स्तर पर चयनित होने वाली कृतियां चुनी जा चुकी हैं। द्वितीय चरण में मुख्यालय स्तर पर दिल्ली में 7 सितम्बर 2012 को प्रदेशों से चुन कर आई प्रविष्ठियों में श्रेष्ठ कृतियों का चयन होना था। समाचार लिखे जाने तक मुख्यालय स्तर पर इस पर कोई कार्यवाई नहीं हुई। इस देरी के चलते केन्द्रीय चयन समिति द्वारा श्रेष्ठतम शिल्पों के चयन के लिए होने वाली कार्रवाई में भी देरी के आसार हो गए हैं।
अंतिम चरण में केन्द्रीय स्तरीय चयन समिति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए 20 व राष्ट्रीय प्रमाण पत्रों के लिए भी 20 श्रेष्ठ शिल्पकृतियों का चयन किया जाएगा। अगर कार्य की गति बढ़ाकर सब कार्य समय से हों तो यह समिति अपना कार्य 21 नवम्बर 2012 को पूरा करेगी।
हालांकि ऐसा कभी नहीं हुआ है, फिर भी अगर तय कार्यक्रम के अनुसार चयनित शिल्पकृतियों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और वर्ष 2011 के लिए शिल्पगुरू सम्मान इसी वर्ष दिसम्बर के महीने में हस्तशिल्प सप्ताह के दौरान वितरित किए जाएंगे।
समितियों की संरचना
मुख्यालय स्तरीय समिति के सदस्य
1. डीसी के अध्यक्ष
2. एडीसी संयोजक
3. एडीसी (हथकरघा)
4. 3 हस्तशिल्प से गैर सरकारी विषय विशेषज्ञ
केन्द्रीय स्तरीय चयन समिति के सदस्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रदेश स्तर पर चयनित होने वाली कृतियां चुनी जा चुकी हैं। द्वितीय चरण में मुख्यालय स्तर पर दिल्ली में 7 सितम्बर 2012 को प्रदेशों से चुन कर आई प्रविष्ठियों में श्रेष्ठ कृतियों का चयन होना था। समाचार लिखे जाने तक मुख्यालय स्तर पर इस पर कोई कार्यवाई नहीं हुई। इस देरी के चलते केन्द्रीय चयन समिति द्वारा श्रेष्ठतम शिल्पों के चयन के लिए होने वाली कार्रवाई में भी देरी के आसार हो गए हैं।
अंतिम चरण में केन्द्रीय स्तरीय चयन समिति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए 20 व राष्ट्रीय प्रमाण पत्रों के लिए भी 20 श्रेष्ठ शिल्पकृतियों का चयन किया जाएगा। अगर कार्य की गति बढ़ाकर सब कार्य समय से हों तो यह समिति अपना कार्य 21 नवम्बर 2012 को पूरा करेगी।
हालांकि ऐसा कभी नहीं हुआ है, फिर भी अगर तय कार्यक्रम के अनुसार चयनित शिल्पकृतियों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और वर्ष 2011 के लिए शिल्पगुरू सम्मान इसी वर्ष दिसम्बर के महीने में हस्तशिल्प सप्ताह के दौरान वितरित किए जाएंगे।
समितियों की संरचना
मुख्यालय स्तरीय समिति के सदस्य
1. डीसी के अध्यक्ष
2. एडीसी संयोजक
3. एडीसी (हथकरघा)
4. 3 हस्तशिल्प से गैर सरकारी विषय विशेषज्ञ
1. सचिव के अध्यक्ष (कपड़ा)
2. विकास आयुक्त (हस्तशिल्प)
3. विकास आयुक्त (हथकरघा)
4. अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
5. अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक, एचएचईसी सदस्य
6. कार्यकारी निदेशक, सदस्य / निफ्ट प्रवर्तन निदेशालय
7. 4 अन्य विषय विशेषज्ञ
दलाल अब भी सक्रीय
हालांकि प्रदेश स्तर पर प्राप्त प्रविष्ठियों के अनुसार राष्ट्रीय पुरस्कारों की दौड़ में शामिल शिल्पों का चयन किया जा चुका है। अब जो कुछ होना है इन चुनिंदा आयटमों में से ही होना है, फिर भी प्रदेश में खासकर जयपुर में ऐसे दलाल सक्रीय हैं जो शिल्पियों को यह बोल कर झांसा दे रहे हैं कि वे अब भी कृतियां सीधे दिल्ली भिजवा सकते हैं। ये वहीं दलाल हैं जो प्रदेश स्तर के चयन से पूर्व भी जयपुर के कुछ शिल्पियों को दिल्ली ले जाकर अधिकारियों से मिलवाते और उनकी सेवा-पूजा कराते रहे हैं। इन्हीं दलालों ने प्रदेश स्तर पर चुने जा चुके शिल्पियों को दिल्ली में मुख्यालय और केन्द्रीय स्तरीय चयन समिति में आगे बढ़ाने के लिए लेन-देन की बातें चला रखी हैं। यह बात भी फैलाई जा रही है कि प्रदेश स्तर चुनी जा चुकी कुछ कृतियों को अधिकारी स्तर पर हटाया जा सकता है तो कुछ को नए सिरे से चुना भी जा सकता है।
उधर डीसीएच सूत्रों के अनुसार इस बार पुरस्कारों के लिए होने वाले चयन में काफी पारदर्शिता बरती जा रही है। जयपुर और दिल्ली के कार्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि वे दफ्तर के भीतर और बाहर सक्रीय ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखें और मुख्यालय को उनकी सूचना भी दें।
प्रदेश स्तर पर चयन के समय दिल्ली से आए खुल्लर नामक व्यक्ति की गतिविधियों की चर्चा जयपुर से दिल्ली तक अब भी हो रही है। जयपुर के स्थानीय दलालों के जरिए शराब, कबाब और नगद पैसों की भेंट लेने वाले उन व्यक्ति विशेष और दिल्ली की एक महिला अधिकारी की गतिविधियां भी उच्चाधिकारियों की नजर में हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश स्तर पर चुनी गई कृतियों के बारे में मुख्यालय स्तर पर विचार के समय उन शिल्पियों की सूचि भी सम्मुख रखी जागी जो यहां दलालों और दिल्ली से आए व्यक्ति के सम्पर्क में रहे।
ऐसे आया बदलाव
इस वर्ष प्रदेश स्तर पर गठित चयन समिति के लिए चुने गए पारखी चयनकर्ताओं में सभी निष्पक्ष और गैरतमंद जानकार चुन लिए गए। मूमल को मिली जानकारी के अनुसार चयनकर्ताओं के नाम जाहिर होने के बाद से ही उन्हें सिफारिशी फोन आने शुरू हो गए थे। उसके बाद तोहफों और मिठाई के डिब्बों का सिलसिला चला। चयनकर्ताओं के दरवाजों से रूखी विदाई की जानकारी दिल्ली तक पहुंची। उसके बाद वहां की एक महिला अधिकारी और वरिष्ठ कर्मचारी ने सिफारिशी शिल्पियों को निश्चिंत रहने को कहा और उसके बाद प्रदेश स्तर पर चयन के समय दिल्ली से खुल्लर नामक व्यक्ति का जयपुर आगमन हुआ।
खुल्लर ने यहां खल्लम-खुल्ला चांदी पर मीनाकारी वाले एक फ्लास्क को चुनने के लिए चयनकर्ताओं पर दबाव बनाया, लेकिन जयपुर के दबंग चयनकर्ताओं ने उसकी एक न सुनी। कहते हैं बाद में खिसियाए हुए खुल्लर ने उद्योग भवन परिसर में उन शिल्पियों से सम्पर्क करना शुरू किया जिनके आयटम सिलेक्ट हो चुके थे। उसने सभी को यह कहा कि चयनकर्ताओं ने तो उनहें रिजेक्ट कर दिया था, लेकिन उसने चयन करा दिया है। इस बात की पुष्ठि जयपुर के दलालों से भी कराई। इसके बदले में शिल्पियों से शराब की बोतल, पुखराज जैसे कुछ नगीनों की मांग की गई। उनके झांसे में आए कुछ शिल्पियों ने तो हाथों-हाथ बोतलें खरीद कर दीं।
इस बात से चयनकर्ता और अधिक चिढ़ गए और उन्होंने दिल्ली से आए व्यक्ति की दिल्ली कार्यालय में शिकायत करने के लिए एक पत्र भी तैयार कराया..... जो अभी तक भेजा नहीं गया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में मुख्यालय स्तरीय चयन के रवैये को देखकर उसे प्रेषित किया जाएगा।