(19 से 29 अक्टूबर, 2013)
लोक कलाकारो और हस्त शिल्पियों के राष्ट्रीय उत्सव का शुभारंभ कल से
राज्यपाल श्रीमती माग्रेट आल्वा करेंगी उद्घाटन
Moomal Network, जयपुर। राज्यपाल, राजस्थान महामहिम श्रीमती माग्रेट आल्वा कल शनिवार 19 अक्टूबर, 2013 को सायं 6.30 बजे जवाहर कला केन्द्र, जयपुर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला-गांधी शिल्प बाजार एवं राष्ट्रीय लोकनृत्य समारोह लोकरंग-2013 का विधिवत् उद्घाटन कर शुभारंभ करेंगी।
यह जानकारी देते हुए श्रीमती राजेश यादव, महानिदेशक जवाहर कला केन्द्र ने बताया की शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्त शिल्प मेंले-गांधी शिल्प बाजार में देश के विभिन्न प्रदेशो के हस्तशिल्प कलाकार 150 से भी अधिक स्टॉल में अपनी हस्तशिल्प कला को प्रदर्शित कर रहे है।
विभिन्न प्रदेशो से आये इन शिल्पियों में कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पियों के साथ कुछ नये कलाकार भी सम्मिलित हो रहे है। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित यह मेला शिल्प कला के खरीददारो को भी प्रोत्साहित करता है। मेले में राजस्थान सहित 21 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के हस्तशिल्पियों की स्टॉल में वुड वर्किंग, एम्ब्रोडरी, टेक्सटाईल, लाख की चूडिय़ां, केन बेम्बू, हेण्डलूम, जूट, पेच वर्क, ब्लू पोटरी, टेराकोटा, पेपरमेशी, लेदर वर्क, जूट क्राफ्ट, लकड़ी के खिलौने, ड्राई फ्लावर, पेंटिग, बंधेज, कशीदाकरी आदि शिल्प कला के उत्कृष्ठ नमूने प्रदर्शित किये जा रहे है।
मेला प्रति दिवस मध्यांह 2.00 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा। मेले के दौरान फूड जोन में अपने मन पसंद व अन्य जायकेदार व्यंजनों का दर्शक लुत्फ उठा सकेंगे।
त्यौहारों को और अधिक जीवंत बनाने के लिए लोक कलाकार अपनी संगीत और नृत्य की छठा प्रति दिवस शिल्पग्राम के डूंगरपुर हट के मंच पर
बिखेरेंगे। इसी क्रम में प्रथम दिवस 19 अक्टूबर को डूंगरपुर हट मंच पर छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार अपनी नृत्यों की प्रस्तुति देंगे, वहीं बहुरूपिया, कच्ची घोड़ी आदि के कलाकर भी अपनी कला से दर्शको को रू-ब-रू करवायेंगे। मेले मेे प्रवेश नि:शुल्क है।
राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह
11 दिवसीय इस 20 वें लोकरंग के दौरान केन्द्र के मध्यवर्ती सभागार में प्रतिदिवस देश के कोने-कोने से विभिन्न प्रदेशो, केन्द्र शासित प्रदेशो के नृत्य दल, गायक समूह और लोक नाट्य अपनी परंपरा अपने संगीत और अपने प्रदेश की सांस्कृतिक छटा से दर्शको को सराबोर करेंगे। इसमें प्रतिभागी 22 राज्य यथा महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, झारखण्ड, कर्नाटक, असम, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश एवं राजस्थान के लगभग 1200 कलाकार भाग लेंगे।
लोकनृत्य समारोह के प्रथम दिन मध्यवर्ती में 19 अक्टूबर 2013 शनिवार सायं 7.00 बजे महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम, मणिपुर, झारखण्ड, एवं राजस्थान के लगभग 150 कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति देंगे। इसी क्रम में महाराष्ट्र के कलाकार-लांवणी, गुजरात-सिद्धिगोमा,
छत्तीसगढ़-पंथी, ओडिशा-गोटीपुआ, असम-बिंहु, मणिपुर-मणिपुर रास, झारखण्ड-करसा, संथाल, मानभूम छाऊ, राजस्थान - चरी नृत्य की प्रस्तुति
देंगे।
विशेष सामग्री
उन्नीस वर्षो के सफल आयोजन का इतिहास लिए राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह 'लोकरंगÓ-2012 में अपनी शैशवास्था और तरूणाई से निकल अब पूर्ण वयस्क हो गया है। इस वर्ष भी देश के कोने - कोने से विभिन्न प्रदेशो, केन्द्र शासित प्रदेशो के नृत्य दल, गायक समूह और लोक नाट्य अपनी परम्परा, अपने संगीत और अपने प्रदेश की सांस्कृतिक छटा से सराबोर जवाहर कला केन्द्र में सम्मिलित होंगे।
भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर एकादशी अर्थात 19 से 29 अक्टूबर, 2013 तक चलने वाले इस समारोह में राजस्थान सहित देश के विभिन्न प्रान्तो के लोक एवं आदिवासी कलाकार अपने पारम्परिक वेश, अनूठे वाद्य यंत्रो और मद मस्त संगीत के साथ प्रति दिन दर्शको के समक्ष समृद्ध भारतीय संस्कृति की प्रस्तुति देंगे। समारोह का समापन सब राज्यो की सम्मिलित प्रस्तुति के रूप में 'ग्रान्ड फिनालेÓ निश्चय ही सुधी दर्शको को जोड़े रखने में सफल होगा।
गत 'लोकरंगÓ समारोह में उमड़े जन समूह को दृष्टिगत रख मुक्ताकाशी सभागार के बाहर परिसर में स्क्रीन पर कार्यक्रमों के जीवंत प्रसारण की भी व्यवस्था की गई है।
तीन दिवसीय समारोह से प्रारम्भ होकर यह लोकरंग अब ग्यारह दिनों तक मनाया जाता है किन्तु हर दिन दर्शकों का सैलाब आनन्द की लहरो में डूब जाता है। अपने 20वें सोपान पर लोकरंग अपनी गरिमा पूर्ण परम्परा के अनुरूप अनेकता में एकता की हमारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के साथ
आपको सादर समर्पित है। आइए हर्ष, उल्लास और आनन्द के इस पर्व में आप भी सम्मिलित हो सकतेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे हैं।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला
(दोपहर 2 से रात्रि 10 बजे तक)
केन्द्र परिसर के शिल्पग्राम में आयोजित यह बहुरंगी मेला देश की प्रति-निधि हस्तकलाओं की वृहद प्रदर्शनी प्रस्तुत करता है। ग्रामीण राजस्थान की झलक प्रस्तुत करते शिल्पग्राम में प्रदेश के ग्रामीण वास्तु पर आधारित छ: घर बने हुए है। बृज (भरतपुर) के घर में खपरेल की छाजन है तो हाडौती (पलायता) में केलू की; दक्षिणी राजस्थान के भील ऊंचे टीलो पर घर बनाते है, उसी परम्परा में बना है, डूंगरपुर का भील डूंगरपुर आवास; बाड़मेर के गोल झौपे निर्माण में सेवण घास की छप्पर और आक की लकड़ी लगी है; बीकानेर और सीकर के निवास भी अपने-अपने क्षेत्र में उपलब्ध निर्माण सामग्री से बने है; बीच का बाजार (हॉट) जयपुर का है इन मकानों में बने मांडणे भी संबंधित क्षेत्रों से ही लिए गये है। यहां देखा जा सकता है समग्र राजस्थान।
भारतीय हस्तशिल्पियों और उनके हस्त कौशल का संगम 'लोकरंगÓ के अवसर पर शिल्पग्राम में देखने को मिलता है। सभी प्रदेशों के शिल्पी अपनी श्रेष्ठ कृतियों के साथ यहां आते है। इनमें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी तो होते ही है, कुछ नए कलाकारों को भी अवसर दिया जाता है ताकि नई पीढ़ी भी तैयार हो। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के सक्रिय आर्थिक सहयोग से आयोजित यह मेला शिल्पकला के खरीददारों को भी प्रोत्साहित करता है। मेले में लगभग 150 स्टॉल में देश के विभिन्न देशों के हस्तशिल्प कलाकार अपनी हस्तकला को प्रदर्शित करेंगे।
जयपुर, जोधपुर का बंधेज, कच्छ की कशीदाकारी, मोलेला - पोकरण की मृदाकला, बस्तर का लोह शिल्प, बंगाल का चर्म शिल्प, दक्षिण भारत की वस्त्र बुनाई, लाख, नमदा, काष्ठ शिल्प, मोजड़ी कोल्हापुरी चप्पल, चिकनकारी, पैच वर्क, बांस-बैत का काम, यानि लोगों का मन मोह लेने वाले हर प्रकार के शिल्प प्रदर्शन और बिक्री के लिए यहां उपलब्ध रहेगा।
त्यौहारों को और अधिक जीवंत बनाने के लिए लोक कलाकार अपने संगीत और नृत्य की छटा प्रति दिवस शिल्पग्राम के डूंगरपुर हट के मंच पर बिखेरेंगे। वही नट, बहुरूपिया, अलगोजा, कठपुतली कलाकार भी अपनी कला से दर्शकों को रू-ब-रू करवायेंगे।
प्रतिभागी राज्य हैं
अरूणाचल प्रदेश, असम, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा, लक्षद्वीप, ओड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, महाराष्ट्र, हरियाणा एवं राजस्थान।
राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह मध्यवर्ती में
सायं 7 बजे से
प्रायोजक हैं:
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला
दक्षिणी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तेजावुर
तमिलनाडू, गोवा, महाराष्ट्र, बिहार
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड
मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिसा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश व राजस्थान।
लोक कलाकारो और हस्त शिल्पियों के राष्ट्रीय उत्सव का शुभारंभ कल से
राज्यपाल श्रीमती माग्रेट आल्वा करेंगी उद्घाटन
Moomal Network, जयपुर। राज्यपाल, राजस्थान महामहिम श्रीमती माग्रेट आल्वा कल शनिवार 19 अक्टूबर, 2013 को सायं 6.30 बजे जवाहर कला केन्द्र, जयपुर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला-गांधी शिल्प बाजार एवं राष्ट्रीय लोकनृत्य समारोह लोकरंग-2013 का विधिवत् उद्घाटन कर शुभारंभ करेंगी।
यह जानकारी देते हुए श्रीमती राजेश यादव, महानिदेशक जवाहर कला केन्द्र ने बताया की शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्त शिल्प मेंले-गांधी शिल्प बाजार में देश के विभिन्न प्रदेशो के हस्तशिल्प कलाकार 150 से भी अधिक स्टॉल में अपनी हस्तशिल्प कला को प्रदर्शित कर रहे है।
विभिन्न प्रदेशो से आये इन शिल्पियों में कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पियों के साथ कुछ नये कलाकार भी सम्मिलित हो रहे है। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित यह मेला शिल्प कला के खरीददारो को भी प्रोत्साहित करता है। मेले में राजस्थान सहित 21 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के हस्तशिल्पियों की स्टॉल में वुड वर्किंग, एम्ब्रोडरी, टेक्सटाईल, लाख की चूडिय़ां, केन बेम्बू, हेण्डलूम, जूट, पेच वर्क, ब्लू पोटरी, टेराकोटा, पेपरमेशी, लेदर वर्क, जूट क्राफ्ट, लकड़ी के खिलौने, ड्राई फ्लावर, पेंटिग, बंधेज, कशीदाकरी आदि शिल्प कला के उत्कृष्ठ नमूने प्रदर्शित किये जा रहे है।
मेला प्रति दिवस मध्यांह 2.00 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा। मेले के दौरान फूड जोन में अपने मन पसंद व अन्य जायकेदार व्यंजनों का दर्शक लुत्फ उठा सकेंगे।
त्यौहारों को और अधिक जीवंत बनाने के लिए लोक कलाकार अपनी संगीत और नृत्य की छठा प्रति दिवस शिल्पग्राम के डूंगरपुर हट के मंच पर
बिखेरेंगे। इसी क्रम में प्रथम दिवस 19 अक्टूबर को डूंगरपुर हट मंच पर छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार अपनी नृत्यों की प्रस्तुति देंगे, वहीं बहुरूपिया, कच्ची घोड़ी आदि के कलाकर भी अपनी कला से दर्शको को रू-ब-रू करवायेंगे। मेले मेे प्रवेश नि:शुल्क है।
राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह
11 दिवसीय इस 20 वें लोकरंग के दौरान केन्द्र के मध्यवर्ती सभागार में प्रतिदिवस देश के कोने-कोने से विभिन्न प्रदेशो, केन्द्र शासित प्रदेशो के नृत्य दल, गायक समूह और लोक नाट्य अपनी परंपरा अपने संगीत और अपने प्रदेश की सांस्कृतिक छटा से दर्शको को सराबोर करेंगे। इसमें प्रतिभागी 22 राज्य यथा महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, झारखण्ड, कर्नाटक, असम, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश एवं राजस्थान के लगभग 1200 कलाकार भाग लेंगे।
लोकनृत्य समारोह के प्रथम दिन मध्यवर्ती में 19 अक्टूबर 2013 शनिवार सायं 7.00 बजे महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम, मणिपुर, झारखण्ड, एवं राजस्थान के लगभग 150 कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति देंगे। इसी क्रम में महाराष्ट्र के कलाकार-लांवणी, गुजरात-सिद्धिगोमा,
छत्तीसगढ़-पंथी, ओडिशा-गोटीपुआ, असम-बिंहु, मणिपुर-मणिपुर रास, झारखण्ड-करसा, संथाल, मानभूम छाऊ, राजस्थान - चरी नृत्य की प्रस्तुति
देंगे।
विशेष सामग्री
उन्नीस वर्षो के सफल आयोजन का इतिहास लिए राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह 'लोकरंगÓ-2012 में अपनी शैशवास्था और तरूणाई से निकल अब पूर्ण वयस्क हो गया है। इस वर्ष भी देश के कोने - कोने से विभिन्न प्रदेशो, केन्द्र शासित प्रदेशो के नृत्य दल, गायक समूह और लोक नाट्य अपनी परम्परा, अपने संगीत और अपने प्रदेश की सांस्कृतिक छटा से सराबोर जवाहर कला केन्द्र में सम्मिलित होंगे।
भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर एकादशी अर्थात 19 से 29 अक्टूबर, 2013 तक चलने वाले इस समारोह में राजस्थान सहित देश के विभिन्न प्रान्तो के लोक एवं आदिवासी कलाकार अपने पारम्परिक वेश, अनूठे वाद्य यंत्रो और मद मस्त संगीत के साथ प्रति दिन दर्शको के समक्ष समृद्ध भारतीय संस्कृति की प्रस्तुति देंगे। समारोह का समापन सब राज्यो की सम्मिलित प्रस्तुति के रूप में 'ग्रान्ड फिनालेÓ निश्चय ही सुधी दर्शको को जोड़े रखने में सफल होगा।
गत 'लोकरंगÓ समारोह में उमड़े जन समूह को दृष्टिगत रख मुक्ताकाशी सभागार के बाहर परिसर में स्क्रीन पर कार्यक्रमों के जीवंत प्रसारण की भी व्यवस्था की गई है।
तीन दिवसीय समारोह से प्रारम्भ होकर यह लोकरंग अब ग्यारह दिनों तक मनाया जाता है किन्तु हर दिन दर्शकों का सैलाब आनन्द की लहरो में डूब जाता है। अपने 20वें सोपान पर लोकरंग अपनी गरिमा पूर्ण परम्परा के अनुरूप अनेकता में एकता की हमारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के साथ
आपको सादर समर्पित है। आइए हर्ष, उल्लास और आनन्द के इस पर्व में आप भी सम्मिलित हो सकतेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे हैं।
राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला
(दोपहर 2 से रात्रि 10 बजे तक)
केन्द्र परिसर के शिल्पग्राम में आयोजित यह बहुरंगी मेला देश की प्रति-निधि हस्तकलाओं की वृहद प्रदर्शनी प्रस्तुत करता है। ग्रामीण राजस्थान की झलक प्रस्तुत करते शिल्पग्राम में प्रदेश के ग्रामीण वास्तु पर आधारित छ: घर बने हुए है। बृज (भरतपुर) के घर में खपरेल की छाजन है तो हाडौती (पलायता) में केलू की; दक्षिणी राजस्थान के भील ऊंचे टीलो पर घर बनाते है, उसी परम्परा में बना है, डूंगरपुर का भील डूंगरपुर आवास; बाड़मेर के गोल झौपे निर्माण में सेवण घास की छप्पर और आक की लकड़ी लगी है; बीकानेर और सीकर के निवास भी अपने-अपने क्षेत्र में उपलब्ध निर्माण सामग्री से बने है; बीच का बाजार (हॉट) जयपुर का है इन मकानों में बने मांडणे भी संबंधित क्षेत्रों से ही लिए गये है। यहां देखा जा सकता है समग्र राजस्थान।
भारतीय हस्तशिल्पियों और उनके हस्त कौशल का संगम 'लोकरंगÓ के अवसर पर शिल्पग्राम में देखने को मिलता है। सभी प्रदेशों के शिल्पी अपनी श्रेष्ठ कृतियों के साथ यहां आते है। इनमें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी तो होते ही है, कुछ नए कलाकारों को भी अवसर दिया जाता है ताकि नई पीढ़ी भी तैयार हो। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार के सक्रिय आर्थिक सहयोग से आयोजित यह मेला शिल्पकला के खरीददारों को भी प्रोत्साहित करता है। मेले में लगभग 150 स्टॉल में देश के विभिन्न देशों के हस्तशिल्प कलाकार अपनी हस्तकला को प्रदर्शित करेंगे।
जयपुर, जोधपुर का बंधेज, कच्छ की कशीदाकारी, मोलेला - पोकरण की मृदाकला, बस्तर का लोह शिल्प, बंगाल का चर्म शिल्प, दक्षिण भारत की वस्त्र बुनाई, लाख, नमदा, काष्ठ शिल्प, मोजड़ी कोल्हापुरी चप्पल, चिकनकारी, पैच वर्क, बांस-बैत का काम, यानि लोगों का मन मोह लेने वाले हर प्रकार के शिल्प प्रदर्शन और बिक्री के लिए यहां उपलब्ध रहेगा।
त्यौहारों को और अधिक जीवंत बनाने के लिए लोक कलाकार अपने संगीत और नृत्य की छटा प्रति दिवस शिल्पग्राम के डूंगरपुर हट के मंच पर बिखेरेंगे। वही नट, बहुरूपिया, अलगोजा, कठपुतली कलाकार भी अपनी कला से दर्शकों को रू-ब-रू करवायेंगे।
प्रतिभागी राज्य हैं
अरूणाचल प्रदेश, असम, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा, लक्षद्वीप, ओड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, महाराष्ट्र, हरियाणा एवं राजस्थान।
राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह मध्यवर्ती में
सायं 7 बजे से
प्रायोजक हैं:
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला
दक्षिणी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तेजावुर
तमिलनाडू, गोवा, महाराष्ट्र, बिहार
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड
मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिसा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश व राजस्थान।